नमस्कार दोस्तों।
आज हम जानेवाले हैं की What Is Electoral Bond :चुनावी फंडिंग पर क्या असर पड़ेगा . इलेक्टोरल बॉन्ड (Electoral Bond) एक वित्तीय उपाय है जिसका उद्देश्य राजनीतिक दलों को चंदा (donation) प्राप्त करने के लिए स्वार्थता मुक्त विकेन्द्रीकरण करना है। यह वित्तीय साधन भारतीय सरकार द्वारा लाया गया था।
इस प्रणाली में, दानकर्ता एक इलेक्टोरल बॉन्ड को खरीदता है और फिर इसे अपने पसंदीदा राजनीतिक दल के लिए दे सकता है। यह विधि चंदा देने के तरीके को अनामता के साथ करती है, क्योंकि इलेक्टोरल बॉन्ड की खरीद प्रक्रिया गोपनीय रहती है। इस प्रकार, यह संवैधानिक रूप से स्वार्थता को रोकता है और दानकर्ताओं की पहचान को गोपनीय रखता है।
इलेक्टोरल बॉन्ड को कोई भी भारतीय नागरिक खरीद सकता है, जो भारतीय मुद्रा के रूप में जमा किया जाता है। इसे खरीदने और उपयोग करने के लिए कोई खास पात्रता नहीं होती है।
हालांकि, कुछ विवादों के कारण, इलेक्टोरल बॉन्ड पर रोक लगा दी गई है। इसमें यह चिंता व्यक्त की जाती है कि यह संवैधानिक और पारदर्शी दान की प्रक्रिया को कमजोर कर सकता है। इसके अलावा, यह विवाद भी उठा है कि इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से बड़ी राशि में अनधिकृत चंदा प्राप्त किया जा सकता है, जिससे सिस्टम का दुरुपयोग हो सकता है। इसलिए, सरकार को इस प्रणाली को संशोधित करने और उसमें पारदर्शिता और निष्पक्षता जोड़ने की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
What Is Electoral Bond
इलेक्टोरल बॉन्ड एक वित्तीय उपाय है जो राजनीतिक दलों को चंदा प्राप्त करने के लिए उपलब्ध है। यह एक तरह का बैंक नोट होता है जिसे व्यक्ति खरीद सकता है और इसे किसी भी राजनीतिक पार्टी को दे सकता है। इसका उपयोग करते समय दानकर्ता का नाम गोपनीय रहता है।
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