कोका कोला कंपनी का एक नियम है कि कंपनी के शीर्ष अधिकारी कभी भी एक साथ सफर या यात्रा नहीं करेंगे। बेशक उन्हें एक ही जगह क्यों न जाना हो, मगर कंपनी के सभी शीर्ष अधिकारी अलग-अलग रास्तों से अलग-अलग हवाई जहाज़ या गाड़ी से यात्रा करेंगे, ठीक उसी तरह से जैसा किसी भी देश के राष्ट्राध्यक्षों का प्रोटोकॉल होता है। ऐसा इसलिए ताकि किसी भी विपरीत हालात में कंपनी का कारोबार किसी भी सूरत में प्रभावित न हो।
coca cola की शुरुआत महज एक इत्तेफाक से हो गई थी। 1865 में अमेरिकी गृह युद्ध के दौरान जॉन पेम्बर्टन नाम का एक लेफ्टिनेंट कर्नल जख़्मी हो गया था। उनके जख़्मों से छुटकारा पाने के लिए वे फौजी ड्रग्स का सहारा लेने लगे, लेकिन उन्हें उस लत से निकलने के लिए वह कोका कोला पिने लगे। इसी बीच, उन्होंने और उनके दोस्त फ्रैंक रॉबिन्सन ने एक नया पेय तैयार किया, जिसमें सोडा, कोका पत्ती, और कैफीन सिरप था। इसे ‘कोका कोला’ कहा गया और 1886 में एक कंपनी बनाई गई।
coca cola का पेटेंट करवाने का विचार नहीं हुआ क्योंकि पेटेंट की रेसिपी 20 साल बाद पब्लिक की जाती है, और फिर उसे कोई भी इस्तेमाल कर सकता है। कंपनी ने इस वजह से अपने फार्मूले को गोपनीय रखा। अर्नेस्ट वुडरफ ने 1919 में कंपनी को खरीदा, और 1925 में उसने फार्मूले को एक वॉल्ट में बंद कर दिया।
कोका कोला की बिक्री में विकास हुआ, और 1890 में यह अमेरिका का सबसे मशहूर पेय हो गया। इसकी लोकप्रियता के साथ, कंपनी ने अपनी रेक्लाम को भी बढ़ाया, जिससे यह दुनिया भर में मशहूर हो गया।कोका कोला का सीक्रेट फॉर्मूला अमेरिका से ही मंगवाना पड़ता है, और अगर कंपनी इसे निर्यात करती है, तो फॉर्मूला की खोज हो सकती है। इसलिए, कंपनी ने अपनी रेसिपी को गोपनीय रखा है, ताकि कोई भी इसे कॉपी न कर सके।
दूसरे महायुद्ध के समय।
दूसरे विश्व युद्धके दौरान जब अमेरिकी सैनिक दूसरे देशों में लड़ने जाते थे उस दौरान coca cola की एक बोतल पांच सेंट में मिलती थी। लेकिन कोका कोला कंपनी के अध्यक्ष रॉबर्ट वुड्रफ ने सैनिकों पर कंपनी का पैसा खर्च करने का फैसला किया और सैनिकों के लिए कोका कोला की बोतल मुफ्त में मुहैया करवाई जाने लगी । जिससे कोका कोला को देशभक्ति से जोड़ दिया गया। हिन्दुस्तान में 1950 से coca cola की बिक्री शुरू हुई। लेकिन 1977 में नियमों की अनदेखी करने पर इस कंपनी पर भारत में पाबंदी लगा दी गई। लेकिन 1993 में उदारवाद लागू होने के बाद ही कोका कोला दोबार भारत के बाजारों में उतर सका।
दुनिया के बाजारों में धूम मचाने के बावजूद कोका कोला की सबसे बड़ी परेशानी उसके सीक्रेट फॉर्म्यूले को लेकर है। असल में कोक का असली स्वाद उसी सीक्रेट फॉर्मूले की वजह है जिसे कोक पूरी तरह से छुपाकर रखना चाहता है।
सवाल यही है कि जब coca cola अपनी रेसिपी को छुपाकर रखने की वजाए उसका पेटेंट भी करवा सकता है तो क्यों नहीं करवाता। जबकि उसने अपनी बोतल को पेटेंट करवा रखा है? इस सवाल का जवाब कोका कोला के अतीत में छुपा हुआ है।
असल में 1891 में कैंडलर ने इस फॉर्मूले को खरीदा था और तभी कंपनी की शुरूआत हुई थी। 1919 में अर्नेस्ट वुडरफ ने कंपनी को खरीदने की पेशकशकी। और इसके लिए उन्हें बैंक से लोन लेना था। उस वक़्त बैंक ने वुडरफ से कुछ गिरवी रखने को कहा। तब वुडरफ ने कोक की रेसिपी की कॉपी बैंक में गिरवी रख दी। 1025 में वो कॉपी बैंक से बाहर निकाली गई लेकिन फॉर्मूले को कई सालों तक सीक्रेट रखा गया। इसके बाद बुडरफ ने कोक को उस फॉर्मूले को एक वॉल्ट में रखदिया। यानी तिजोरी में बंद कर दिया।
फार्मूले के सीक्रेट होने की जहां तक बात है तो वो इसके लिए कंपनी ने एक कायदा बना रखा है कि एक वक़्त में केवल दो ही लोगों को इस फॉर्मूले के बारे में पता होता है। और वो दो लोग कभी भी एक साथ कहीं नहीं जाते। ताकि अगर कोई हादसा होता है तो कम सेकम कंपनी का कारोबार चलता रहे।
कंपनी फार्मूला इसलिएपेटेंट नहीं करवाती क्योंकि पेटेंट नियमों के मुताबिक 20 साल बाद पेटेंट की रेसिपी रिव्यू को पब्लिक करनी पड़ेगी और तब ये फार्मूला सबके सामने लाना पड़ेगा।