आज तारीख २२ जनवरी २०२४ को आयोदय मैं प्रभु श्री Ram lalla की प्रतिष्ठापना होने जा रही हैं.Ram lalla की प्राण प्रतिष्ठापना कैसे की जाएगी? क्या हैं इस दिन का विशेष! इस पवन अवसर पर देश मैं जोरो शोरो से रैलियां निकली जा रही हैं.इस दिन देश के बहुसंख्यक हिंदू समाज का करीब 500 साल पुराना सपना साकार होगा।आज हर घर मैं दिवाली की तरह दिए भी जला दिए जायेंगे। सभी तरफ पुरे देश भर मैं उत्साह का माहौल हैं।
जब भी किसी मंदिर के अंदर प्राणप्रतिष्ठा की जाती हैं यानि की मूर्ति को जीवित किया जाता हैं वो कैसे किया जाता हैं इसके पीछे की वजह क्या हैं आईये जानते हैं. कशी के पंडित गणेश्वर जी ने Ram lalla की मूर्ति के प्राणप्रतिष्ठा के लिए २२ जनवरी का और पुरे ८४ सेकंड का मुहूर्त निकला हैं.और इस मुहूर्त को संजीवनी मुहूर्त भी कहा जाता हैं. ८४ लाख योनियोंकी प्राण शक्ति समायी हुई हैं.और यही शक्ति श्री राम मंदिर को अनत सलोंतक जीवित रखेगी।Ram lalla की प्रतिष्ठापना का मुहूर्त २२ जनवरी को दोपहर को १२ बजकर २९ मिनिट और ८ सेकंड से चालू होगा और वो दोपहर को १२ बजकर ३० मिनिट ३२ सेकंड तक रहेगा यानि की पूरा मुहूर्त ८४ सेकंड का हैं इस मुहूर्त मैं रामलल्ला की प्रतिष्ठापना करने से भारत विश्व मैं बलवान देश बनकर उभरेगा। और इसी मुहूर्त मैं भगवनRam lalla के नेत्र सोने की सिलखा से खोले जायेंगे।पंचांग के अनुसार आज २२ जनवरी २०२४ को सर्वार्थ सिद्धि योग हैं.आज ही के दिन रवि योग और मृगशिरा नक्षत्र का दुर्लभ संयोग बनने जा रहा हैं.
आज के दिन का जो मुहूर्त हैं वो लघबघ भगवन राम जी के जन्मा के मुहूर्त से मिलता जुलता हैं.प्राणप्रतिष्ठा के लिए सबसे पहले मूर्ति का अधिवास किया जाता हैं.इसके लिए पहले मूर्ति का जलाधिवास किया जाता हैं.इसके लिए मूर्ति को रात के लिए जल में डूबकर रखा जाता हैं उसके बाद मैं मूर्ति का धन्याधिवास होता हैं इसके लिए मूर्ति को अनाज मैं दबाकर रखा जाता हैं और इसके बाद मैं ही मूर्ति को जलभिषेख किया जाता हैं.इसके बाद मैं मूर्ति को रसाभिषेख किया जाता हैं.उसके बाद मूर्ति को जलभिषेख करके सम्पूर्ण मूर्ति को मुलायम कपड़ो से पुछा जाता हैं.इसके बाद मूर्ति को वस्त्र और आभूषण पहनाये जाते हैं और चन्दन का लेप लगाया जाता हैं.अंत मैं वैदिक मंत्रो के माध्यम से मूर्ति को चेतन किया जाता हैं इसमें सूर्य देव से नेत्र ,वायु देव से कान,और चंद्र देव से मनको जागृत करने का आव्हान किया जाता हैं और उसके बाद मैं मूर्ति के सामने ऐना रखकर मूर्ति के नेत्र खोले जाते हैं। जब सर्वप्रथम रामलल्ला की आंखे खोली जाएँगी तब रामलल्ला अपने खुद के मनमोहक रूप को स्वयं देखेंगे।
राममंदिर का इतिहास
राममंदिर का निर्माण सर्वप्रथम राम जी के बेटे कुश ने किया था और उसके बाद कई राजाओंने इसके निर्माण मैं अपना हाथ बताया हैं.और उसके बाद ही मुग़ल बाबर ने इस मंदिर को विघ्न करकर उसके ऊपर मस्जिद का निर्माण किया था.इतिहासकारोंके मुताबिक मस्जिद के निचे के हिस्से मैं मंदिर का भाग स्पष्ट रूप से दिखाई देता था.।राम मंदिर का निर्माण करने का आंदोलन बहुत समय से चल रहा था, जिसका सबसे बड़ा प्रमुख हिस्सा बाबर के समय में बना मस्जिद बाबरी मस्जिद था, जो 1992 में तोड़ी गई।1992 की अयोध्या की कांड के बाद, राम मंदिर निर्माण के लिए समर्थन बढ़ा और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, 2019 में भूमि पूजन समारोह के बाद मंदिर की नींवें रखी गईं। सार्वजनिक स्थान विवाद के चलते यह विषय राजनीतिक और सामाजिक चर्चा का केंद्र बना रहा है, लेकिन मंदिर निर्माण का कार्य आखिर मैं पूरा होकर आज के दिन यानि २२ जनवरी २०२४ को मंदिर मैं रामलल्ला की प्रतिष्ठापना होने जा रही हैं.एक आस्था और भावपूर्ण तरीकोंसे से पूरा देश मंदिर और भगवन Ram lalla को अपने ह्रदय मैं समाये रख रहा हैं.