नमस्कार दोस्तों।
भारत एक कृषि प्रधान देश हैं और इस देश मैं आज की एहमियत सबसे अधिक हैं लेकिन आने वाले कुछ समय मैं ये अनाज और महंगा हो सकता हैं. क्या इस साल अनाज मैं महंगाई आ सकती हैं? Golden Market Surge आजकल हम लोग जो रोटी कहते हैं वो रोटी और महंगी हो सकती है क्योंकि देशभर के सरकारी गोदामों में गेहूं का भंडार सात साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है। आधिकारिक दिए हुए आंकड़ों के अनुसार, भारतीय खाद्य निगम और राज्य एजेंसियों के पास 1 जनवरी, 2024 तक गेहूं का कुल भंडार 163.5 लाख टन था, जो 7 साल में सबसे नीचे है। इससे पहले साल 2017 में देशभर के गोदामों में 137.5 लाख टन गेहूं का भंडार रिकॉर्ड किया गया था।पिछले सात सालों में सबसे ज्यादा भंडार 2021 में दर्ज किया गया, जब गेहूं का कुल स्टॉक 342.90 लाख टन था। 12022 में यह घटकर 330.12 लाख टन और 2023 में 171.70 लाख टन रह गया। हालाँकि, मौजूदा भंडार कैलेंडर वर्ष की शुरूआत के लिए 138 लाख टन के न्यूनतम बफर से अधिक है। भविष्य में होने वाली किसी वस्तु की कमी को पूरा करने के लिए वस्तु का भंडार तैयार करना ‘बफर स्टॉक कहलाता है। तीन महीने की 108 लाख टन की परिचालन आवश्यकता और किसी भी खरीद की कमी को पूरा करने के लिए 30 लाख टन का भंडार सुरक्षित रखा जाता है।
महंगाई का कारण।
हमारे भारत सरकार के सरकारी गोदामों के आंकड़ों से पता चलता है कि १ जनवरी, 2024 तक चावल का स्टॉक, 516.5 लाख टन है, जो बताया जाता हैं की न्यूनतम बफर 76.1 लाख टन से काफी ऊपर है। चावल और गेहूं दोनों के भंडार को मिलाकर देखें तो यह आंकड़ा 680 लाख सरकारी गोदामों के आंकड़ों से पता चलता है कि पहली जनवरी, 2024 तक चावल का स्टॉक, 516.5 लाख टन है, जो मानक न्यूनतम बफ 76.1 लाख टन से काफी ऊपर है। चावल और गेहूं दोनों के भंडार को मिलाकर देखें तो यह आंकड़ा 680 लाख टन तक पहुंच जाता है, जो बफर स्टॉक 214.1 लाख टन से तिगुना ज्यादा है। मौजूदा गेहूं स्टॉक में कमी तब भी आई है, जब सितंबर 2022 से नवंबर 2023 तक लगातार 15 महीनों तक मुद्रास्फिति डबल डिजिट में रहने के बाद दिसंबर में खुदरा अनाज की कीमतें साल-दर-साल 9.93 प्रतिशत बढ़ी हैं। इस गिरावट का कारण लगातार दो सालों में कम गेहूं उत्पादन है, जिससे राज्यों से जारी किये हुए एजेंसियों को निजी संस्थाओं को ज्यादा बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा है। पिछले साल, दुनिया के दूसरे सबसे बड़े गेहूं उत्पादक भारत ने गेहूं का निर्यात बंद कर दिया था क्योंकि गर्मी के कारण पर्याप्त गेहूं नहीं पैदा हुआ था और रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण के कारण वैश्विक कीमतें बढ़ गई थीं। 2023 में अमेरिकी गेहूं की कीमतें 35′ से ज्यादा गिर गईं, निर्यात प्रतिबंध के बावजूद हाल के महीनों में भारत में गेहूं की कीमतें 20′ से ज्यादा बढ़ गई हैं। व्यापार और उद्योग विशेषज्ञ इसका कारण घरेलू गेहूं उत्पादन को कृषि मंत्रालय के 112.74 मिलियन मीट्रिक टन के रिकॉर्ड अनुमान से कम से कम 10′ कम होना बताते हैं।
जब CM थे तब ,PM को खूब कोसा करते थे
कि की रुपया कैसे गिर रहा है , जब खुद सत्ता
में आए , तब $1=₹60 के भाव था , आज
$1=₹83 पार हो गया ,, आज जुबान बंद है
सिर्फ 80 करोड लोगों की ‘अनाज’ की बात
करते हैं , महंगाई बेरोजगारी से जनता परेशान pic.twitter.com/c3TGeIDnG4
— मनीषा चौबे , 𝙄𝙉𝘿𝙄𝘼 (@ChobeyManisha) December 22, 2023