नमस्कार दोस्तों
पॅरिस के Statue Victor Noir का राज़ क्या है? आज की ये कहानी उन दिनों की है जब फ्रांस मैं नेपोलियन बोनापार्ट ३ की हुकूमत हुआ करती थी. उन दिनों नेपोलियन बोनापार्ट ३पॅरिस पर हुकूमत चलता था. राजघरानो की हूकूमश्चि से तंग आकर कई अख़बार उनके खिलाप लिखते थे ऐसे ही एक दिन एक अख़बार ने नेपोलियन बोनापार्ट ३ के भतीजे Pierre Bonaparte के बारे में लिख दिया। उसके बाद नेपोलियन को बड़ा गुस्सा आया उसने उस अख़बार पर कड़ा शासन किया।
उसके बाद उसी अख़बार के एडिटर ने Victor Noir को Pierre Bonaparte की माफ़ी मांगले के लिए कहा पर Pierre Bonaparte ने म्माफ़ी देने से सख्त इंकार कर दिया।लेकिन Victor ऊके बाद भी लगा रहा.
पॅरिस के Statue Victor Noir का राज़ क्या है?
साल ११ जनवरी १८७० मैं Victor Noir पॅरिस के राजमहल मैं Pierre Bonaparte को फिर से माफ़ी मांगने के लिए गए थे,लेकिन उस दिन Pierre Bonaparte ने उनसे ब्बत करने की वजह Victor Noir पर गोली चलायी। ये बात पॅरिस मैं बहुत ही तेज़ी से फ़ैल गयी। जनता पहले से ही राजघराने के खिलाप हो गयी थी और इस हादसे के बाद कई अखबरोने तो राजघरानो के खिलाप लिखना भी शुरू कर दिया।इस सब बात का विरोधी दाल ने अच्छा फायदा उठाया। उन्होंने Victor Noir की यात्रा निकली। बताया ये जाता है की उन दिनों लाखो लोगोंकी भीड़ Victor Noir को अलविदा करने के लिए आ गयी थी.Victor Noir को दफ़न कर दिया और उसके बाद मैं ही Percia ने पॅरिस पर अटैक कर कर इन सभी आवाजों पर पानी फेर दिया .२१ साल बाद कुछ लोगो ने ये ब्बत कही की अगर हम Victor Noir की कब्र को निकालकर पॅरिस के सबसे बड़े कब्रिस्तान Pere Lachaise Cementry मैं दफ़न कर देते है. तो लगबघ २१ साल बाद फिर एक बार Victor Noir चर्चा मैं आ गए.तभी उन लोगोने ये भी बात कही की हम लोग Victor Noir का पुतला अगर बनवा दे तो लोग सालो साल उनको याद करेंगे।इसी बात पर उनका पुतला बनाने की कार्यवाही चालू कर दी।
श्रद्धा की अंधश्रद्धा
Victor Noir का पुतला ऐसा था की ११ जनवरी १८७० के दिन यानि की जिस दिन उनको गोली मारी गयी थी उसी तरह से बनाया था। वो पुतला ब्रोंज का था और हूबहुब Victor Noir की तरह ही दीखता था.जब भी लोग इस कब्रिस्तान मैं किसी और को दफ़न करने के लिए आते थे तो उनकी नजर हमेशा से ही इस पुतले के ऊपर पड़ती थी.और लोग उसकी तारीफ करते थे.कई औरते उस पुतले को हाथ लगाती थी उसकी खूबसूरती देखकर उसको चुम लिया करती थी। पर बाद मैं एक अफवाह ऐसी फ़ैल गयी की जिस जिसने इस पुतले को हाथ लगाया है उनकी शादिया होगयी ,जिसको बच्चा नहीं होता था उनको बच्चा हो गया और वो भी लघबघ १ साल के अंदर ही.ये महज एक अफवाह थी पर ये अफवाह इस तरह से पनप गयी की दूर दूर से लोग इस पुतले को हाथ लगाने के लिए आते थे.इस बात को देखकर पॅरिस की सरकार ने यहाँ पर बन लगा दिया पर उसके बाद लोगोंके विरोध के चलते उनको अपना बयां वापस लेना पद गया. लोगोने इस पुतले को जिस जिस जगह को हाथ लगाया उस जगह पुतले की चमक और बढ़ती चली गयी.
इस बात मैं कितली सचाई है ये बिलकुल भी मालूम नहीं है। ये तो उन लोगोंकी श्रद्धा का विषय है पर ये बात पर गौर करना पड़ेगा की अंधश्रद्धा परदेस मैं भी है.ये सब बात उनकी विश्वास श्रद्धा से जुडी हुई है। लेकिन जिसका भी कल्याण इस पुतले की वजह से हुआ है वो लोग आजभी इस पुतले को फूल चढाने उसी कब्रस्तान मैं आ जाते है। और लोग उसी शिद्धत से उस पुतले को मानते है.ये बात विश्वास की है जो की परदेस मैं भी पनपती है.