आज हम बात करनेवाले है क्या हैं क्या हैं Coaching Classes के ऊपर सरकार का नया निर्देश ? भारी-भरकम स्कूल फीस देना जहां पलकोंकी की नाक में दम कर रहा है, वहीं इसमें कोचिंग क्लास की फीस भी जुड़ गई है।क्योंकि अगर एक बच्चा अगर स्कूल मैं भी पढ़ रहा हो तो वो बच्चा शाम को कोचिंग क्लास मैं जरूर जाता है. ये कक्षाएं आपकी इच्छानुसार उतना शुल्क लेती हैं। इसके अलावा, माता-पिता को यह गलतफहमी है कि बच्चे बिना कोचिंग क्लास के पढ़ाई नहीं करते हैं। इसलिए पलकोंकी यह शुल्क देने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। अक्सर माता और पिता दोनों के कामकाजी होने के कारण बच्चों की पढ़ाई के लिए कोई उपलब्ध नहीं होता, इसलिए क्लास का विकल्प भी चुना जाता है। कोचिंग कक्षाओं को अनावश्यक महत्व दिए जाने के कारण वे मनमाने ढंग से संचालित होते रहते हैं। इसे रोकने के लिए केंद्र सरकार ने नए निर्देश जारी किए हैं, जिससे ऐसी कक्षाओं पर अच्छा असर पड़ेगा.केंद्र सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा लाए गए नए नियमों के अनुसार, 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को कोचिंग सेंटरों में प्रवेश नहीं दिया जा सकता है। साथ ही अच्छे अंक और रैंक पाने का भ्रामक विज्ञापन भी नहीं किया जा सकेगा। कोचिंग सेंटरों को विनियमित करने और उन्हें कानूनी ढांचे के तहत लाने की आवश्यकता थी। साथ ही, निजी कोचिंग कक्षाओं की अनियंत्रित वृद्धि को रोकने के लिए ये दिशानिर्देश तैयार किए गए हैं। यह कदम छात्रों की बढ़ती आत्महत्या की घटनाओं, आग लगने की घटनाओं, कोचिंग में सुविधाओं की कमी और उनके द्वारा अपनाई जाने वाली शिक्षण पद्धतियों को लेकर सरकार से की गई शिकायतों के बाद उठाया गया है.
१) कोई भी कोचिंग सेंटर उसके डिग्री से कम योग्यता वाले शिक्षकों को नौकरी पर नहीं रख सकता।
२)कोई भी कोचिंग सेंटर में छात्रों को दाखिला देने के लिए भ्रामक वादे नहीं कर सकते।
३)माता-पिता को ग्रेड या अच्छे ग्रेड की गारंटी नहीं दे सकते।
४)जिस बच्चे की उम्र १६ साल से काम है उनकी मानांकन संस्था नहीं कर सकती।
५)कोई भी कोचिंग संस्था भ्रामक घोषणा नहीं कर सकती है और बहलाफुसला के विद्यार्थी भर्ती भी नहीं कर सकती हैं।
६)कोचिंग सेंटर मैं किसी ऐसे शिक्षक या व्यक्ति को नौकरी पर नहीं रख सकते जो किसी भी नैतिक अपराध में दोषी ठहराया गया हो।
७) और हर कोचिंग संस्था की अपनी वेबसाइट होनी जरुरी हैं जिसपर वे लोग अपनी संस्था की जानकारी दे सकते हैं।
Coaching Classes के बारे मैं.
आजकल भारत मैं कोचिंग क्लासेज को लेकर बहुत ही खबरे आ रही हैं ये क्लासेज कई नीतिमूल्ये बाजु मैं रखकर बच्चो को पढ़ते हैं। भारत मैं कोचिंग क्लासेज एक शिक्षा का घर नहीं बल्कि एक बड़ा बिजनेस होगया हैं. और यहाँ इतनी कॉम्पिटिशन होगयी हैं की हर एक बच्चे को बेहला फुसला कर अपनने क्लासेज मैं शामिल किया जाता हैं लेकिन उसके ऊपर पूरी योग्यता और गंभीरता से न देखने पर उसके मार्क्स काम आने लगते हैं और इसी वजह से कई स्कूल के बच्चे या फिर बहरी पढ़ाई करनेवाले बच्चे सुसाइड कर लेते हैं.स्कूल की परीक्षा या बोर्ड परीक्षा के लिए कोचिंग क्लासेस का समय साधारित कैलेंडर के साथ मेल खाता है। इन क्लासेसेस की शुरुआत अक्सर परीक्षा से कुछ महीने पहले होती है, और परीक्षा के नजदीकी तैयारी के लिए योजनाबद्ध होती है।भारत में कोचिंग क्लासेस का स्केल विविध है, और विभिन्न संस्थान अपने-अपने समय सारणी का पालन करते हैं। इसलिए, छात्र और उनके माता-पिता को विशिष्ट कोचिंग सेंटर्स से कोर्स की शुरुआत तिथियों और प्रवेश प्रक्रिया पर सटीक और नवीन जानकारी के लिए उनसे संपर्क करना चाहिए।इसके अलावा, ऑनलाइन कोचिंग प्लेटफ़ॉर्म्स का भी चलन बढ़ा है, जो शुरुआत तिथियों और कोर्स अवधियों में लचीलाई प्रदान करते हैं। अभी देखना ये हैं की इन नियमोंका मनमानी करनेवाले कोचिंग क्लासेज पर कितना असर पड़ता हैं.