साल था १९५२ देश आजाद हुआ था देश मैं प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु सत्ता मैं थे.और उसी वक्त मैं इधर कर्नाटक और तमिलनाडु की बाउंड्री मैं एक गांव है जिसका नाम हैं गोपीनाथम।गोपीनाथम आम गांव की तरह ही एक गांव था जहा सब लोग जंगल का उपयोग अपनी रोज़ मर्रा की चीज़े के लिए इस्तेमाल करते थे.उसी गांव मैं १८ जनवरी १९५२ मैं Koose Munusamy Veerappan का जन्म हुआ था। बाकि बचो की तरह Veerappan भी शरारती था पर भविष्य मैं उसने जो कांड किये थे उसकी झलक उसके बचपण मैं भी दिखती थी.
शुरुआत
Veerappan के घर मैं पैसे की तो तंगी हमेशा रहती थी इसके लिए वो एक आदमी के साथ मैं जंगल मैं चन्दन के पेड़ काटने का काम करने लगा.कहा जाता हैं की Veerappan ने जो सटीक निशाना लगाना सीखा था वो सब इसी व्यक्ति ने सिखाया था.बाद मैं कुछ अनबन होने के कारण उसने खुद ये काम करना चालू कर दिया। वो जंगल मैं अपने गट के साथ जाता था उसके आदमी पहले ही हाथी को देख के रखते थे की कोण सा हाथी मजबूत हैं और किसके डात ज्यादा बड़े हैं Veerappan उस हाथी को इतना सहज मारता की कुछ ही पलो मैं उसका अंत हो जाता था. साल १९७० तक Veerappan के साथ लघबघ १०० आदमी जुट गए थे. ये सभी लोग जंगल मैं चन्दन की तस्करी करना। हठी को मारकर हाथीदांत निकलना ऐसी चीज़े किया करते थे.उस वक्त तक वीरप्पन का आतंक बहुत ही बढ़ गया था.सत्यमंगलम और मदुमलाई के घनघोर जंगल उसको आसरा देते थे.कोई भी फारेस्ट का पुलिस अगर उसकी काम मैं बढ़ा डालता था तो Veerappan उसको जान से मार देता था.
Special Task Force
वीरप्पन को पकड़ने के लिए कर्नाटक पुलिस STF यानि की Special Task Force की स्थापना की थी। ऐसे ही एक दिन STF को Veerappna की खबर मिल गयी और STF की पूरी पुलिस २ बस से उसको पकड़ने के लिए चली गयी.पर तब वीरप्पन ने उसी रोड के ऊपर land Mines बिछाके रखी थी जैसे ही पुलिस की गाड़ी वेहरोड के ऊपर आ गयी तब धमाका हो गया और उसमें २२ STF के जवान शहीद हो गए.उसमै एक STF का ऑफिसर भी शामिल था उसका नाम था P-Shrinivas वो जिन्दा बच गया था लेकिन Veerappan ने उसे पकड़ कर पहले गोली मरी और फिर उसने उसका सर काटकर उससे Football खेला।इतना क्रूर और इतना आतंक उसका था.
Veerappan की बीवी भी थी जिसका नाम mutthulaxmi हैं उसने अपने तीसरे बेटी को जन्म दिया था.इस बात मैं कितनी सच्चाई है ये Veerappan को ही पता होगा क्योंकि १९९३ मैं जब वीरप्पन के अड्डे के ऊपर STF ने हल्ला किया था तब वीरप्पन अपनी नवजात बेटी को लेकर भाघ गया था.और उसके रोने से STF को पता ना चले इसके लिए उसने अपने ही हाथो से उसकी बेटी का सर पत्थर से पटककर मर दिया था. उसके बाद मैं वीरप्पन किडनेपिंग भी करने लगा था.बताया ये जाता हैं की कई फारेस्ट अफसर को किडनैप करकर उसने अपनी बात मनवाई थी.वैसे ही साल २००० मैं कर्णाटक के सुपरस्टार डॉ. Rajkumar को भी उसने घर से अगवाह कर लिया था तब राजकुमार अपने घर के उध्गाटन के लिए आये थे और वो घर जंगल के करीब था.राजकुमार को किडनैप करने के बाद उसने कर्णाटक सरकार को अपने आदमी को छोड़ने और पैसे दे की डिमांड राखी लेकिन सरकार ने इसमें समझोता करने के लिए नक्कीरन magzine के एडिटर R -Gopal को भेजा। तब जेक पुरे १०८ दिन के बाद मैं राजकुमार को वीरप्पन ने छोड़ दिया। बात ये भी बताई जाती हैं की तब सरकार ने राजकुमार को छोड़ने के बदले मैं पुरे ५० करोड रुपये Veerappan को दिए थे.ऐसे ही उसने बाद मैं २००२ मैं कर्णाटक के पूर्व कृषि मंत्री H Nagappa को भी अगवा किया और उसने फिर से अपनी डिमांड सरकार के सामने राखी लेकिन इस बार सरकार ने उसका पता लगाकर STF को भेज दिया।ये बात जब Veerappan को पता चली तो उसने H Nagappa को मार दिया।
Veerappan का आतंक अब बहुत बढ़ गया था लेकिन एक न एक दिन आतंक का अंत तो होना तय था.